Sunday, September 13, 2009

मूर्ति पूजा

प्राचीन काल में एक हिरण्यकश्यप नाम का असुर था . वह अपने आप को ईश्वर कहा करता था .परन्तु उसकी पत्नी एक नागकन्या थी और वह एक भली स्त्री थी . एक बार हिरण्यकश्यप युद्घ करने गया था और उसकी पत्नी साधुओं के कुटिया में रहने चली गयी थी .तब वह गर्भवती थी . वहां भगवान् विष्णु का यज्ञ हो रहा था .यज्ञ में उच्चारित मंत्र गर्भ में पल रहे बच्चे के कानों में जा रहा था . उसकी माँ इस बात से अनजान थी .कुछ दिन बाद हिरण्यकश्यप लौट आया और अपनी पत्नी को ले गया .जब बच्चा जन्म लिया वो असुरों के बीच था मगर वो भगवान् विष्णु का परम भक्त था । यह जानकर हिरण्यकश्यप बहुत क्रोधित हुआ । उस बालक का नाम प्रह्लाद था । हिरण्यकश्यप अपने पुत्र से कहता - "रे मुर्ख अपने पिता जो इस ब्रह्माण्ड का ईश्वर है सबसे शक्तिशाली है ,को छोड़ तू विष्णु का पूजा करता है । वो विष्णु मुझसे छुपता फिरता है "। बालक प्रह्लाद बोला -"पिताजी आप एक मनुष्य हैं, मैं आप की पूजा कैसे कर सकता हूँ ?भगवान् विष्णु अंतर्यामी ,सर्वशक्तिमान ,पालनहारी और सर्वव्यापी हैं । उनका पूजन सारा जगत करता है । आप मेरे पिता हैं मैं आपको प्रणाम करता हूँ "। यह सुन हिरण्यकश्यप बौखला गया । उसे प्रताणित करने लगा । कभी सापों के बीच छोड़ देता ,तो कभी शूल पर चढाता,तो कभी अपनी बहन होलिका के साथ आग में बैठाता । मगर भगवान् विष्णु हर बार अपने भक्त की सदैव रक्षा करते । एक दिन हिरण्यकश्यप प्रहलाद से बोला तेरा भगवान् कहाँ है उसे बुला देखता हूँ आज तुझे वह कैसे मुझसे बचाता है । तब बालक प्रह्लाद बोला - "पिता जी ईश्वर सर्वव्यापी हैं वो हर जगह हैं । वो अपने भक्तों की रक्षा करते हैं" ।हिरण्यकश्यप बौखला गया और बोला "तेरा भगवान् यहाँ है ? "
बालक प्रह्लाद - "हाँ ,वो यहाँ भी है । वो सृष्टि के कण कण में हैं । '
-"वो इन असुरों में भी है "
-"हाँ पिता जी "
-"वो इस दासी में भी है "
-"हाँ पिताजी "
-"वो इस महल के दीवारों में है "
-"हाँ पिताजी "
हिरण्यकश्यप बिल्कुल बौखला गया और एक खंभे को ईशारा कर बोला "तेरा भगवान् इस खम्भे में है?"
बालक प्रह्लाद -"हाँ पिता जी "
हिरण्यकश्यप हंसा और बोला "देखता हूँ तेरा भगवान् कैसे बचता है ?"यह कह वो अपने पैर से उस खंभे को मारता है और खम्बा गिर जाता है , उसमे से भगवान् नरसिंह अवतरित होते हैं और हिरण्यकश्यप को मार देते हैं ।

तबसे हिंदू ईश्वर को मूर्ति के रूप में पूजा करने लगे ।

Hindu



मेरा जन्म उत्तरप्रदेश के छोटे गाँव में हुआ था. मैं जब छोटी थी तो मैंने अपने परिवार में दिवाली, होली, दशहरा मनाते देखा भगवान राम और भगवान् कृष्ण के बारे में सुना, माता - पिता से उनके आदर्शों का अनुसरण करना सीखा.हिंदू धर्म के मान्यताओं और रीती रिवाज को सम्मान देना सिखा जब विद्यालय जाने लगे तो जाने की हिंदू धर्म के अलावा और भी धर्म हैं. मुझे ईश्वर पर गहरी आस्था है मगर बड़े होने पर जाना की मेरे उसी आस्था का मजाक बनाया जाता है. कोई हमें सपेरे वाला तो कोई काफिर कहता है. बचपन से जो सीखते आए वही हमारे लिए सवाल बन गये. लोग क्यों कहते हैं की हम ग़लत है ?क्या मेरे माता -पिता जो संस्कार दिए वो ग़लत था ?क्या सचमुच भगवान् राम और भगवान् कृष्ण ,भगवान् नहीं हैं ?ऐसा क्यों है ,भगवान ईसा मसीह भगवान् हैं और हमारे भगवान् राम और भगवान् कृष्ण भगवान् नही हैं ? लोग हमसे सबूत क्यों मांगते हैं की - क्या सबूत है की भगवान् राम का जन्म अयोध्या में हुआ था ,क्या सबूत है की भगवान् कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया है ?ये प्रश्न हमसे क्यों पूछे जाते हैं ?