तब इंसानों ने अपना अपना नाम रखा ....
ताकि वो एक दुसरे को नाम से जाने ......
जानवर अपना नाम नहीं रखते ....
और इसके बाद इंसानों को यह एहसास हुआ की इन्सान social creature है अकेले नहीं रह सकता .....
तब साथ साथ ख़ुशी ख़ुशी रहने के लिए कुछ rule और regulation
इन्सान जानवरों से अलग था इसलिए उसने culture को बनाया ....
तब मैं आई .......तब मेरा जन्म हुआ ......
लेकिन यह क्या ????
इन्सान इन्सान का दुश्मन बन बैठा वो भी सिर्फ नाम की वजह से ??????
मैं??? मुझे जानना चाहते हैं आप ??? मैं आपमें हूँ ......
मैं इंसानियत हूँ ......
लेकिन अब लगता है की इंसानों को अब मेरी जरुरत नही है .......
मैं जा रही हूँ ......
हो सके तो मुझे रोक लेना ......
मैं जाना नहीं चाहती ....
लेकिन मैं इंसानों के दिलो में रहती हूँ ......
कहाँ जाऊ मैं ??????
its so nice abha........
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